नमस्कार दोस्तो आज हम पढेंगे timber क्या है, इसका क्या यूज़ है? टिम्बर का क्लासिफिकेशन, पैरामीटर, ट्री का क्रॉस सेक्शनल, मैक्रो स्ट्रक्चर, टिम्बर की प्रॉपर्टीज आदि चीजे पढेंगे, तो चलिए शुरू करते हैं आज का यह आर्टिकल।
What is Timber in Hindi
टिम्बर एक बिल्डिंग मटेरियल है, इसका उपयोग हम लकड़ी से बनने वाली चीजें जैसे-Pile foundation में, window, roof आदि में करते हैं। टिम्बर लकड़ी ही होती है मतलब ऐसी लकड़ी जिसका उपयोग स्ट्रक्चर में किया जाए टिम्बर कहलाती है।
Advantages of timber:-
यह हीट और इलेक्ट्रिसिटी का bad कंडकटर होता है। इसका weight to strength ratio ज्यादा होता है, यही टिम्बर को use करने की main वजह भी है। टिम्बर को बैंड करना काफी मुश्किल होता है, यह durable होता है और इसका wastage भी कम होता है।
Disadvantages of timber:-
Climate condition के change होने से timber पर भी असर पड़ता है, हम जानते है कि लकड़ी को ज्यादा पानी के contact में रखने से उसकी strength कम हो जाती है ओर time के साथ वो shrink, swell, twist भी करती है।
टिम्बर के साथ टिम्बर का डीके होता है और टिम्बर फायर रेजिस्टेंस शो नहीं करती मतलब timber में आग लगने का डर हमेशा लगा रहता है। अगर टिम्बर को कुछ time के लिए खुले में बिना paint किये रख दिया जाए तो वो पुरानी टिम्बर लगने लगती है हालांकि इससे उसकी स्ट्रेंथ पर कोई फर्क नई पड़ता।
Classification of Tree
Endogenous और Exogenous tree में अंतर
Endogenous | Exogenous |
इनका उपयोग इंजीनियरिंग में काफी लिमिटेड होता है। | ये इंजीनियरिंग वर्क में परमानेंट स्ट्रक्चर बनाने में उपयोग होते है। |
ये बाहर से अंदर की तरफ ग्रो करते हैं। | ये अंदर से बाहर की तरफ ग्रो करते हैं और इनके अंदर हर एक साल में एक annular ring बन जाती है जिससे हम इनकी age भी पता लगा सकते हैं। |
Example- Bamboo, palm tree, etc | Example- Teak, deodar etc |
Coniferous vs deciduous trees
Coniferous trees | Deciduous trees |
Needle या सुई के आकर की पत्ति होती है। | पत्तियां चौड़ी होती है और बिखरी हुई। |
इन्हें evergreen tree भी बोलते हैं क्योंकि इनकी पट्टियां कभी नई गिरती। | इनकी पत्तियाँ autumn में गिर जाती हैं और spring season में फिरसे आ जाती हैं। |
इनमे annual rings distinct होती है | इनमे annual ring distinct नही होती है। |
ये soft wood होती है | ये hard wood होती है |
इससे निकली timber का उपयोग हम sports, furniture के सामान बनाने में करते हैं। | इससे मिलने वाली timber का उपयोग हम engineering purpose में करते हैं। |
Classification based on availability:-
X grade- 1415 m3 per year
Y grade-355 m3 per year
Z grade-less than 355 m3 per year
Classification based on durability:-
Durability | The average life of timber in months |
High | >=120 |
Moderate | 60<=life<120 |
Low | <=60 |
Classification based on weight:-
Classification | Density(kg/m3) | Example |
Light to very light | <550 | Papita, senul |
Moderate heavy | 550-750 | Deodar |
Heavy to very heavy | >750 | Shisham |
Timber की density 12% moisture content पर निकलते हैं।
Density climate के साथ, soil की condition के साथ,ओर tree में नीचे से ऊपर की ओर भी अलग अलग होती है।
Classification based on Elasticity in bending:-
Group | Modulus of elasticity |
Group A | 12.5>=E |
Group B | 12.5>E>=9.8 |
Group C | 9.8>E>=5.6 |
Classification based on seasoning properties:-
High refractory
Moderate refractory
Low refractory
Structure of timber
Macro structure:-
Pith or medulla- ये tree का सबसे innermost part होता है, ये एक डेड पार्ट होता है, जो कि plant की growth में अपना कोई योगदान नही देता है।
इस पार्ट ने ग्रोथ में कंट्रीब्यूशन यंग ऐज में किया होगा पर अब ये dead part है।
Heartwood- जो पीथ के चारों तरफ डार्क कलर की annular ring है उसे हम heartwood कहते हैं।
ये भी पीथ की तरह डेड होती है और ग्रोथ में अपना योगदान नहीं देती है।
ये part timber को rigidity provide कराता है और उसे engineering projects में use होने लायक बनाता है।
sap wood- Outer annular ring जो कि heart wood ओर cambium layer के बीच मे है sap wood कहलाती है।ये weight ओर color में हल्के रंग की होती है।
इसके अंदर sap, sugar, starch रहता है जो कि इसे fungiओर insects के attack को invite करता है।यह एक active layer होती है जिसमे की moisture ओर food दोनों होता है और ये growth में अपना योगदान देती है।
cambium layer- ये बहुत ही पतली layer होती है जो कि sapwood ओर inner bark के बीच मे होती है।ये layer tree के बाहरी तरफ पेड़ की छाल बनाती है और अंदर की तरफ sapwood बनाती है।
Inner bark (Phloem)- ये cambium layer को cover करने वाली एक अंदर की परत होती है और ये cambium layer को injury से बचाती है।
cortex or outer bark- ये सबसे बाहरी protective layer है जो कि cracks ओर fissures से बचाती है।
medullary rays or pith rays- पतले radial fibers जो कि pith से cambium layer तक जाते हैं medullary rays कहलाते हैं।इनका कामAnnular rings को साथ मे जोड़कर रखना होता है। ये rays tree में food, वाटर,ओर organic matter को भी transport करती है।
Annular rings or growth rings- Tree केई growth के साथ साथ उसमे concentric rings भी बढ़ती है और ऐसा माना जाता है कि हर एक season में एक ring बन जाती है तो उसे गिनकर हम कोई tree की age बता सकते हैं।
अगर इन annual rings में difference ज्यादा होगा तो ये बतायेगा की tree की growth बहुत तेज हुई है और एक young tree एक adult tree के comparison में ज्यादा तेजी से बढ़ता है इसलिए एक old tree अपनी initial stage मेंannual ringsदूर दूर दिखता है जबकि age के आगे बढ़ने पर उनके बीच की दूरी कम होती जाती है।
अगर कोई tree की annual rings जितनी पास होगी उतनी ही उस tree की density कम होगी इसलिए हम हमेशा ऐसे tree की खोज में रहते हैं जिसकी growth सही से नई हुई हो और हमे timber के use के लिए एक high density का tree मिले।
तो दोस्तों इस तरह से हमारा आज का यह टॉपिक खत्म होता है। आशा करता हू आज आपके Timber से जुड़े कई सवालो के जवाब मिल गए होंगे। अगर आपके अभी भी कोई सवाल इंजीनियरिंग से जुड़े है, तो आप हमे कमेन्ट करके जरूर बताये।
इंजीनियरिंग दोस्त (Engineering Dost) से जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद 🙂