दोस्तो आज हम Transformer rating KVA में क्यों होती है, इस प्रश्न पर बात करेंगे क्योंकि यह प्रश्न लगभग सभी इलेक्ट्रिकल इंटरव्यू में पूछा जाता है।
आज मै आपको सबसे पहले ट्रांसफार्मर की रेटिंग KVA में क्यों होती है, इस पॉइन्ट को समझाऊंगा ओर आखरी में आपको यह बताऊँगा की अगर इंटरव्यू में आपसे कोई यह प्रश्न करता है, तब आपको क्या जवाब देना है।
Transformer में KVA क्या है?
ट्रांसफार्मर एक इलेक्ट्रिकल डिवाइस है। ट्रांसफॉर्मर का उपयोग हम वोल्टेज को कम तथा ज्यादा करने के लिए करते है।
सबसे पहले हम जान लेते है की KVA का मतलब क्या होता है?
KVA का पूरा नाम- Kilo Voltage Ampere
- इसमे kilo का मतलब 1000 होता है।
- KVA हमारे सिस्टम के वोल्टेज ओर एम्पेयर (करंट) को गुणा करके निकाला जाता है। KVA= K×V×A
परन्तु अब हमारे मन में एक सवाल यह भी होता है की मोटर की रेटिंग KW में क्यों होती है।
KW का पूरा नाम- Kilo Watt
KW निकालने के लिए हमे वोल्टेज ओर करंट के साथ साथ पावर फैक्टर को भी गुणा किया जाता है।
KW= K×V×A×P.F.
KVA ओर KW में अंतर
KVA ओर KW में सिर्फ पॉवर फैक्टर जोड़ने का ही अंतर होता है। अगर हम कभी भी KVA के अंदर पावर फैक्टर को गुणा कर देंगे, तो वह KVA से KW में बदल जाएगा। पावर फैक्टर हमेशा लोड के आधार पर बदलता रहता है।
इलेक्ट्रिकल में तीन तरह लोड होते है।
- Resistive Load (रजिस्टिव लोड)
- Inductive Load (इंडक्टिव लोड)
- Capacitive Load (कैपेसिटिव लोड)
इन तीनो लोड का पावर फैक्टर अलग-अलग होता है।
Why Transformer Rating in KVA?
दोस्तों अब आसान भाषा में यह भी जान लेते है की ट्रांसफार्मर की रेटिंग KVA में क्यों दी जाती है-
जब ट्रांसफार्मर को बनाया जाता है, तब इंजीनियर को यह नही पता होता की भविष्य में उस ट्रांसफॉर्मर पर किस power factor के लोड को जोड़ा जाएगा।
जैसे- अभी आपको बताया की इलेक्ट्रिकल सिस्टम में तीन तरह के लोड होते है। इस वजह से हर लोड पर पावर फैक्टर भी बदलता रहता है।
इंजीनियर को यह बात नही पता होती है, कंपनी वाले उनके ट्रांसफार्मर पर कितने पावर फैक्टर को रखेंगे। इंजीनियर को सिर्फ यह पता होता है की उनके ट्रांसफॉर्मर में से कितना वोल्टेज ओर कितना करंट को निकाला जाएगा।
ट्रांसफार्मर KVA में होने के पीछे की दूसरी वजह
हम सभी को पता है ट्रांसफॉर्मर के अंदर दो तरह कर लॉस होते है।
- Copper loss (कॉपर लॉस)
- Iron loss/Core Loss (आयरन लॉस)
Copper Loss- यह ट्रांसफार्मर की वाइंडिंग में होते है। कॉपर लॉस को हम करंट लोस्स भी कहते है। यह ट्रांसफार्मर से निकलने वाले करंट पर डिपेंड करता है।
जब ट्रांसफॉर्मर को लोड से जोड़ा जाता है, उस समय ट्रांसफार्मर की वाइंडिंग से करंट गुजरने लगता है। इस वजह से ट्रांसफार्मर की वाइंडिंग में हीट उत्पन होती है। इस हीट की वजह से इलेक्ट्रिसिटी के कुछ लॉस होते है, यह कॉपर लॉस कहलाते है।
Core loss & Iron loss- कोर लॉस हमेशा वोल्टज के कारण होते है। जैसा हम सभी जानते है ट्रांसफार्मर पर वोल्टेज हमेशा लगभग फिक्स ही रहता है, वह ज्यादा बदलता नही है।
वोल्टेज फिक्स होने के कारण ट्रांसफार्मर के कोर लॉस मतलब आयरन लॉस भी हमेशा फिक्स रहते है।
इंटरव्यू के लिए जवाब:-
इलेक्ट्रिकल इंटरव्यू के अंदर अगर आपसे ट्रांसफार्मर की रेटिंग KVA में क्यों होती है? यह प्रश्न पूछा जाता है, तब आपको आसान शब्दो में यह बताना है।
उत्तर- ट्रांसफार्मर की रेटिंग KVA में होने के पीछे मुख्य 2 कारण होते है।
1. ट्रांसफार्मर एक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक डिवाइस होता है। इस कारण से इसमे दो तरह के लॉस होते है, यह लॉस वोल्टेज ओर करंट के कम ज्यादा होने पर बदलते रहते है।
2. ट्रांसफार्मर आउटपुट में इलेक्ट्रिकल सप्लाई देने का काम करता है। हम उस इलेक्ट्रिकल सप्लाई से हमारे उपकरण को जोड़ते है।
परन्तु इलेक्ट्रिकल के उपकरण तीन भागो में बटे होते है, इन तीनो का पावर फैक्टर अलग अलग रहता है। ओर यह बात इंजीनियर को नही पता होती की हम किस पावर फैक्टर के उपकरण को ट्रांसफार्मर से जोड़ेंगे।
आप इस बात पर धयान दे- जो भी उपकरण आउटपुट में हमे इलेक्ट्रिकल एनर्जी देते है। जैसे- ट्रांसफार्मर, जनरेटर। इनमे से किसी की भी रेटिंग KW में दी जाती, इनकी rating हमेशा KVA में आएगी।
तो दोस्तो उम्मीद है आज आपके Transformer की rating KVA से जुड़े कई सवालो के जवाब मिल गए होंगे, अगर आपके अभी भी कोई सवाल इंजीनियरिंग से जुड़े है तो आप हमे कमेन्ट करके जरूर बताये।
इंजीनियरिंग दोस्त (Engineering Dost) से जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। 🙂
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Very very good knowledge hai mere bahut sare daut clear ho Gaye thanku 🙏